वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
३ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
सुमिरन ऐसा कीजिए, दूजा लखे न कोय |
ओठ न फरकत देखिए, प्रेम राखिए गोय || (संत मलूकदास)
प्रसंग:
सत्य की याद दुःख में ही क्यों सताती है?
सत्य को निरंतर कैसे याद रखें?
झूठ से आसक्ति कैसे हटायें?
संतों के क़रीब आने का क्या तरीका है?