वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, ४०वां अद्वैत बोधशिविर
२७ जनवरी, २०१८
ऋषिकेश
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ।। (संत कबीर)
प्रसंग:
गुरु का क्या महत्त्व है?
संतों द्वारा गुरु को गोविन्द से भी ऊँचा क्यों बतया गया है?
गुरु हमारी मदद किस प्रकार से करता है?
संगीत: मिलिंद दाते