वीडियो जानकारी:
११ मई, २०१९
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
कंजरी बनया मेरी इज़्ज़त न घटदी, मैनू नच नच यार मनावन दे।
~ संत बुल्लेशाह जी
हम कदम-कदम पर समझौते क्यों करते हैं?
संत कभी समझौता क्यों नहीं करते हैं?
क्या ज़िन्दगी समझौते के बिना नहीं चल सकती?
मुक्ति पथ पर कौन-कौन से समझौते करने पड़ते हैं?
बुल्लेशाह जी को कैसे समझें?
संगीत: मिलिंद दाते