श्रद्धाहीन रिश्ते || आचार्य प्रशांत, श्री अष्टावक्र पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१७ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

अष्टावक्र गीता (अध्याय १८, श्लोक १)
"अयं सोऽहमयं नाहं इति क्षीणा विकल्पना।
सर्वमात्मेति निश्चित्य तूष्णींभूतस्य योगिनः॥"

प्रसंग:
क्या आपकी ख़ुशी दूसरों पर आश्रित है?
क्या आपके मन पर दूसरे छाए रहते हैं?
क्या आप अपने को डर और ईर्षा जैसी बीमारियों से घिरा पाते हैं?

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