वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१७ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
अष्टावक्र गीता (अध्याय १८, श्लोक १)
"अयं सोऽहमयं नाहं इति क्षीणा विकल्पना।
सर्वमात्मेति निश्चित्य तूष्णींभूतस्य योगिनः॥"
प्रसंग:
क्या आपकी ख़ुशी दूसरों पर आश्रित है?
क्या आपके मन पर दूसरे छाए रहते हैं?
क्या आप अपने को डर और ईर्षा जैसी बीमारियों से घिरा पाते हैं?