संतजन अपनी मृत्यु से क्यों नहीं डरते? || आचार्य प्रशांत (2018)

Views 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, हार्दिक उल्लास शिविर
१६ सितम्बर २०१८
लैंसडाउन, उत्तराखंड

रमण महर्षि और रामकृष्ण परमहंस दोनों को ही कैंसर हुआ था। और दोनों के शिष्य उनका इलाज करते-करते थक गए। कैंसर ठीक नहीं होता, तो शिष्य कहते हैं कि इलाज ठीक से करवा लीजिये। रामकृष्ण कहते हैं कि काली नहीं चाहतीं और ये कहकर इलाज नहीं करवाते थे। इसी तरीके से रमण महर्षि भी अपने इलाज को लेकर, लगता है कि लापरवाह थे। इन बातों का क्या अर्थ है?

प्रसंग:
क्या संत शरीर की परवाह करना छोड़ देते हैं?
संतजन अपनी मृत्यु से क्यों नहीं डरते?
शरीर की वास्तविक ज़रूरतें कौन सी हैं?
मन और शरीर कैसे अलग-अलग हैं?
शरीर को कितना महत्व देना ज़रूरी है?
देहभाव से ऊपर कैसे उठें?

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS