लाइफस्टाइल डेस्क. मसालों की तेज खुशबू से महकती उज्बेकिस्तान की सिल्क रोड पर पहुंचते हैं तो खूबसूरत मोजेक इमारतें और आर्टवर्क के बेहतरीन नमूने देखने को मिलते हैं। लेकिन चर्चा खाने से शुरू होती है और खत्म भी इसी पर होती है। हर डिश इतनी लाजवाब है कि मुंह में पानी आ जाए। लेकिन रिसर्च के नतीजे थोड़ा चौकाने वाले हैं। दावा है कि उज्बेकिस्तान में हर पांच में एक मौत की वजह यहां का खाना है। खाने में आखिर ऐसा क्या है जो मौत की वजह बन रही है, पढ़िए रिसर्च रिपोर्ट -
क्या खाते हैं यहां के लोग
उज्बेक कुजीन की गिनती लजीज व्यंजनों में की जाती है। ज्यादातर फूड ऐसे हैं जिनमें कैलोरी का लेवल काफी अधिक है। कभी इसे एगरेरियन सोसायटी के लिए तैयार किया गया था। काफी मेहनती होने के कारण इस समुदाय के लोगों को अधिक कैलोरी वाले फूड की जरूरत होती थी।
खाने की लगभग हर वैरायटी में मीट किसी न किसी रूप में शामिल है जिसे अधिक चर्बी वाली भेड़ से निकाला जाता है। खाने में मैदा, चावल, सब्जियां और तेल के साथ सौंफ, काली मिर्च, धनिया और तेजपत्ता जैसे मसालों का प्रयोग अधिक होता है।
मौत की असल वजह है क्या
2019 में जारी लेंसेट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च कहती है 2017 में यहां 1.1 करोड़ मौते हुईं। हर पांच में से एक मौत की वजह खानपान में पोषक तत्वों का कम और अधिक नमक का इस्तेमाल होना है। लेकिन उज्बेकिस्तान की गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट लोलो एब्दुराखिमोवा इसे पूरी तरह से सच नहीं मानतीं। वह कहती हैं कि ऐसे मामलों की मुख्य वजह बिगड़ी लाइफस्टाइल है। उज्बेक कुजीन एगरेरियन सोसायटी के लिए तैयार किया गया था जो दिनभर काफी मेहनत करते थे। अगर खाना सीमित मात्रा में लिया जाए तो खतरा न के बराबर है।
लोलो के मुताबिक, मौतें बढ़ने की तीन मुख्य वजह हैं - भूख से अधिक खाना, एक ही जगह पर दिनभर बैठकर समय बिताना और एक ही जैसा खाना लंबे समय तक खाना। यहां के लोग शारीरिक तौर पर कम सक्रिय हैं, इसलिए वजन आसानी से बढ़ता है।
लोलो कहती हैं, आज उज्बेकिस्तानी लोगों की डाइट में फल और सब्जियां कम शामिल हैं जबकि पुराने समय में यह खानपान का अहम हिस्सा हुआ करता था। इसकी जगह पर सिर्फ अधिक कैलोरी वाले फूड लिए जा रहे हैं।