Due to the highly restrictive policies of the Trump administration, the rate of rejection of H-1B visa applications has increased a lot this year compared to 2015. A study conducted by an American think tank has also revealed that H-1B applications of reputed Indian IT companies have been rejected the most. These figures emphasize those allegations in a way that the current administration is unfairly targeting Indian companies.
ट्रंप प्रशासन की अति प्रतिबंधात्मक नीतियों के चलते एच-1बी वीजा आवेदनों को खारिज किए जाने की दर साल 2015 के मुकाबले इस साल बहुत अधिक बढ़ी हैं. एक अमेरिकी थिंक टैंक की तरफ से किए गए अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नामी गिरामी भारतीय आईटी कंपनियों के एच-1बी आवेदन सबसे ज्यादा खारिज किए गए हैं. ये आंकड़ें उन आरोपों को एक तरह से बल देते हैं कि मौजूदा प्रशासन अनुचित ढंग से भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है.
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