मत बताओ कि क्या जानते हो, दिखाओ कि तुम हो क्या || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१ जून २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
कुलवन्ता कोटिक मिले, पण्डित कोटि पचीस |
सुपच भक्त की पनहि में, तुलै न काहू शीश ||

प्रसंग:
मत बताओ कि क्या जानते हो, दिखाओ कि तुम हो क्या?
"सुपच भक्त की पनहि में, तुलै न काहू शीश" का क्या आशय है?
संत कबीर क्यों बता रहें है कि पंडित और भक्त में समर्पण होना चाहिए?

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