शास्त्रों के अनुसार लंका से अयोध्या लौटते समय भगवान चित्रकूट भी रुके थे। नासिक के दण्डकवन से श्रीराम का पुष्पक विमान सीधे चित्रकूट आ गया।
यहां रामजी ने सीता को लंका जाते समय के ऋषियों के आश्रम दिखाए। यहां पर कुछ क्षण ककर सभी ने ऋषियों का आशीर्वाद लिया। फिर वहां से आगे बढ़ गए। ऐसी मान्यता है कि जहां राम-सीता विश्राम करते थे वहां पर आज रुपौली वृक्ष हैं। लक्ष्मण पहाड़ी और जानकी कुंड को भी राम-सीता के साक्ष्य के तौर पर माना जाता है।