किष्किंधा से पुष्पक विमान नासिक पहुंचा। यहां विमान उतरने को लेकर वाल्मीकि और बाकी रामायणों के मत अलग-अलग हैं। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक नासिक के ऊपर पहुंचने पर राम ने विमान की गति धीमी की और नीचे की तरफ करके ऋषियों से आशीर्वाद लिया। उनसे बातचीत करके आगे बढ़ गए। इस बातचीत में रामजी ने सीता को बताया कि वो जो शोभाशाली पेड़ दिख रहा है, वहां जटायु तुम्हारी रक्षा करते हुए रावण के हाथों मारा गया था। उसके आगे केले के पत्तों से घिरा महर्षि अगस्त्य का आश्रम है। वहीं, तमिल और उत्तर रामायण में राम के यहां उतरने और सीता के साथ ऋषियों के आशीर्वाद लेने का जिक्र है।