शनिदेव की कुदृष्टि पड़ी तो कट गया श्रीगणेश का सिर

DainikBhaskar 2019-09-09

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1. शिवजी ने काट दिया था भगवान गणेश का सिर

एक समय जब माता पार्वती मानसरोवर में स्नान कर रही थी। तब स्नान स्थल पर कोई आ न सके इस हेतु उन्होंने अपनी माया से गणेश को जन्म देकर 'बाल गणेश' को पहरा देने के लिए नियुक्त कर दिया। इसी दौरान भगवान शिव आ जाते हैं। गणेशजी उन्हें रोक देते हैं। इससे भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं। तब दोनों में युद्ध हो जाता है। युद्ध के दौरान क्रोधित होकर शिवजी बाल गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते हैं। शिव के इस कृत्य का जब पार्वती को पता चलता है तो वे विलाप और क्रोध से प्रलय का सृजन करते हुए कहती है कि तुमने मेरे पुत्र को मार डाला। माता का रौद्र रूप देख शिव एक हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर गणेश जी को पुन:जीवित कर देते हैं। तभी से भगवान गणेश को गजानन गणेश कहा जाने लगा।



2. जब गणपति पर पड़ी शनि देव की कुदृष्टि

दूसरी कथा के अनुसार, जब गणपति का जन्‍म हुआ तो श‍िवलोक में उत्‍सव मनाया जा रहा था। सभी देवता नन्‍हें बालक को आशीर्वाद देने के लिए श‍िवधाम पधारे, लेकिन शनि देव गणपति को देखे बिना ही विदा लेने लगे। यह देख माता पार्वती ने शनि देव से इसका कारण पूछा। इस पर शनि देव ने कहा कि अगर उनकी दृष्‍टि गणेश पर पड़ी तो अमंगल हो जाएगा, लेकिन मां पार्वती नहीं मानी और उन्‍हें गणेश को देखने का आदेश दे दिया। फिर जैसे ही शनि ने गणेश को देखा उनका सिर कटकर हवा में विलीन हो गया। गणपति जमीन पर गिर गए और मां पार्वती बेहोश हो गईं। इसके बाद भगवान विष्‍णु ने एक नवजात हाथी का सिर काटकर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया।

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