गणेशजी ने अपना वाहन चूहे को बनाया, इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार प्राचीन समय गजमुखासुर नाम का एक असुर था। उसने सभी देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। सभी देवता गणेशजी के पास पहुंचे तो गणेशजी के डर से असुर चूहा बनकर भागने लगा, तब गणेशजी ने उसे पकड़कर अपना वाहन बना लिया। दूसरी कथा के अनुसार, देवराज इंद्र के दरबार में क्रोंच नाम का गंधर्व था। एक दिन क्रोंच ने गलती से वामादेव नाम के मुनि के पैर पर अपना पैर रख दिया। इससे मुनि नाराज हो गए और गंधर्व को चूहा बनने का शाप दे दिया। क्रोंच ने अनजानी में हुई गलती के मुनि से क्षमा मांगी तो मुनि से उसे कहा कि तुम इसी रूप में गणेशजी के वाहन बनोगे, तुम्हारा कल्याण हो जाएगा। बाद में यही चूहा गणेशजी का वाहन बना।