गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं यानी हर शुभ काम में सबसे पहले गणेशजी की पूजा की जाती है। इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक बार गणेशजी और कार्तिकेय स्वामी के बीच इस बात को लेकर वाद-विवाद हो रहा था कि दोनों में कौन श्रेष्ठ है। वाद-विवाद बढ़ने लगा तो शिव-पार्वती वहां पहुंचे। तब शिवजी ने कहा कि तुम दोनों में जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, वही श्रेष्ठ होगा।
कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर है तो वे तुरंत ही मोर पर बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल गए। गणेशजी का वाहन चूहा है तो वे सोचने लगे कि चूहे से तो पृथ्वी का चक्कर लगाने में बहुत देर हो जाएगी। कार्तिकेय मुझसे पहले लौट आएंगे। तब उन्होंने शिव-पार्वती के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी से भी बढ़कर माता-पिता है, इनके चरणों में ही संपूर्ण ब्रह्मांड का सुख है। इसीलिए मैंने आपकी परिक्रमा की है। ये देखकर शिव-पार्वती प्रसन्न हो गए। शिवजी ने गणेशजी की बुद्धि, माता-पिता की भक्ति देखकर उन्हें श्रेष्ठ घोषित किया और प्रथम पूज्य होने के वरदान दिया।