गुलाम नबी आजाद ने कहा- कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ें

DainikBhaskar 2019-08-06

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नई दिल्ली. अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस में दो धड़े दिख रहे हैं। रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने मंगलवार को कहा, “मैं अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के पक्ष में हूं। मैं मानती हूं कि इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे कश्मीर को मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी। यह काफी ऐतिहासिक निर्णय है।”



 



उन्होंने कहा कि, “मैं सरकार के इस कदम से थोड़ी सशंकित भी हूं कि कश्मीर में लोगों की आवाज बंद कर दी गई है, इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी गई है। मेरा मानना है कि इसे राजनीतिक रंग न देकर राष्ट्रीय हित का मुद्दा बनाकर आगे बढ़ाया जाना चाहिए।”



 



कांग्रेस का इतिहास पढ़ें, फिर पार्टी में रहें: आजाद



कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद से जब यह पूछा गया कि कांग्रेस में दो तरह की आवाजें क्यों आ रही हैं तो उन्होंने कहा, “जिन लोगों को जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस के इतिहास के बारे में पता नहीं है, उनसे मुझे कोई लेना-देना नहीं है। वे पहले जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ें, फिर कांग्रेस में रहें।”



 



कांग्रेस नेता भुवनेश्वर कलीता ने इस्तीफा दिया

अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस के विरोधी रुख को देखते हुए राज्यसभा में पार्टी के चीफ व्हिप भुवनेश्वर कलीता ने कल इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था, “पार्टी ने मुझे देश के मूड के खिलाफ व्हिप जारी करने को कहा था। पार्टी आत्महत्या कर रही है। मैं इसका भागीदार नहीं बनना चाहता।” दीपेंद्र हुड्डा और मिलिंद देवड़ा ने भी पार्टी से अलग रुख अपनाया। जनार्दन द्विवेदी ने कहा, “आजादी के समय जो भूल हुई थी, उसे सुधारा गया है।”



 



राहुल गांधी ने भी चुप्पी तोड़ी

अनुच्छेद 370 हटाने के मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा, “राष्ट्रीय एकीकरण का मतलब जम्मू-कश्मीर को तोड़ना, चुने गए प्रतिनिधियों को जेल में बंद कर देना और संविधान का उल्लंघन करना नहीं है। यह देश यहां के लोगों से बना है, न कि जमीन के टुकड़े से। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ताकत का यह गलत इस्तेमाल है।”



 



राज्य के पुनर्गठन में दिक्कतें थीं

केंद्र ने 70 साल पुराने अनुच्छेद 370 को इसलिए निष्प्रभावी किया, क्योंकि इससे राज्य का पुनर्गठन नहीं किया जा सकता था। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था। संसद से पारित कई कानून इस राज्य में लागू नहीं हो पाते थे। केंद्र सरकार रक्षा, विदेश और संचार जैसे अहम विषयों को छोड़कर राज्य के बाकी मामलों में दखल नहीं दे सकती थी।



 



पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा से सोमवार को पास हुआ। इस विधेयक के पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े। जम्मू-कश्मीर दिल्ली की तरह विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनेगा, लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।

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