राजघाट: एमबीबीएस स्टूडेंट के जुनून ने बदल दी गांव की तस्वीर, काउंड फंडिंग से जुटाए रुपए

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Ground Report of Rajghat Village Dholpur
राजघाट (धौलपुर)।

कुख्यात डकैत फूलन देवी के जीवन पर आधारित वर्ष 1994 में आई फिल्म बैंडिट क्वीन में चंबल किनारे का जो इलाका दिखाया गया, उसमें मूलभूत सुविधाओं का कोई नामों निशां नहीं था। दूर—दूर तक सिर्फ बियाबान बीहड़ और चंबल नदी का बहता पानी था। ना गांव—गुवाड़ तक पहुंचने का रास्ता था और ना ही बिजली।

यह जगह थी राजस्थान के धौलपुर जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव राजघाट (शहरी क्षेत्र का गांव)। वर्ष 2018 तक यहां के हालात ठीक वैसे ही थे जैसे फिल्म बैंडिट क्वीन में दिखाए गए थे। दो साल पहले 21 साल का एमबीबीए स्टूडेंट अश्वनी पाराशर राजघाट पहुंचा। फिर इसने जो किया, उससे गांव राजघाट तकदीर और तस्वीर बदलते देर नहीं लगी।

देखते ही देखते ही राजघाट के घर-घर में फिल्टर वाटर सिस्टम लग गए। घर सोलर ऊर्जा से रोशन होने लगे। शुद्ध पेयजल के लिए पाइप लाइन डल गई और सड़क का ख्वाब भी बस पूरा होने ही वाला है।

2016 में ऐसे शुरु हुई राजघाट के बदलाव की कहानी

राजघाट में बदलाव की यह कहानी बेहद प्रेरणादायक है। शुरुआत वर्ष 2016 में उस समय हुई जब राजस्थान की राजधानी जयपुर से एमबीबीएस कर रहे अश्वनी पाराशर दिवाली की छुट्टियों में अपने घर धौलपुर आए। उस समय अश्वनी के मेडिकल, इंजीनियरिंग और लॉ के अन्य साथी भी घर आए हुए थे। सबने तय किया कि क्यों ना इस बार की दिवाली की खुशियां किसी ऐसी जगह मनाई जाए, जहां जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान लाई जा सके।

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