किसानों की आत्महत्याओं का असल मुआवजा तो अब वसूलेगा मराठवाड़ा

DainikBhaskar 2019-04-11

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बीड़-औरंगाबाद (महाराष्ट्र) से भंवर जांगिड़. विदर्भ से लगता हुआ मराठवाड़ा। किसानों के घरों में जितनी चीखें यहां गूंजी होंगी, उतनी शायद देश के किसी हिस्से में नहीं गूंजी होंगी। सरकार यहां मौत के बाद मुआवजा तो देती है, लेकिन वो तो अंतिम संस्कार में ही खर्च हो जाता है। परिवार को तो विरासत में कर्ज ही मिलता है। औरंगाबाद के पैठण इलाके में किसानों से जुड़े संगठन शेतकरी के नेता जयाजी सूर्यवंशी बोले-  मराठवाड़ा के राजनीति विज्ञान को समझने से पहले यहां का गणित समझ लें। पूरे महाराष्ट्र में पिछले साढ़े चार साल में करीब 14 हजार किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। उनमें से 90% किसान मराठवाड़ा के इन आठ जिलों से ही थे। सरकार ने बड़ा धोखा किया है। दो साल पहले जब हमने मुंबई का दूध और सब्जी रोकी तो बात करने को तैयार हुई। मुख्यमंत्री ने तब 17-18 वादे किए थे। एक भी पूरा नहीं किया। जायकवाड़ी डेम बनाते समय जिन किसानों की जमीनें ली गईं, उन्हें भी पानी नहीं मिल रहा। जबकि यही पानी शराब इंडस्ट्री को मिल रहा है। इसलिए संगठन ने मिलकर तय किया है कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन को वोट नहीं देंगे।

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