''कोई पूछे तो कहना 'कलाकार' हूं, सुना हैं कला का कोई धर्म नहींं होता ....ये पंक्ति भारत भ्रमण के दौरान तीर्थ नगरी पुष्कर पहुंचे एक विदेशी कलाकार पर सटीक बैठती है. खुद को यूरोप का बताने वाले इस विदेशी युवक ने चंद मिनटों में अपनी कलाकारी के जरिए उस सुनसान पड़ी दीवार में पेंटिंग बनाकर जान फूंक दी जिस पर राह चलते लोगों का कभी ध्यान नहीं जाता था. इस विदेशी कलाकार ने मात्र 50 मिनट में कला का बेहतरीन प्रदर्शन कर पूरी दीवार का नजारा बदल डाला. विदेशी कलाकार ने पेंटिंग के बारे में बताया कि वो आजादी और रोज कुछ नया करने का संदेश दे रहे हैं. खास बात यह है कि इस पर्यटक ने अपनी कला को ही अपनी पहचान बताई और खुद का कोई परिचय नहीं दिया.