आज हम सबसे पहले आपके सामने एक तस्वीर रखना चाहते हैं। ये तस्वीर दो छोटे-छोटे बच्चों की है. जिनके सपनों पर साइकिल के दो पहियों के बीच रखी एक बोरी भारी पड़ रही है। कहते हैं कि पढ़ेगा-लिखेगा तो बढ़ेगा इंडिया, लेकिन अगर स्कूल में 8-10 साल के बच्चों से कलम, कॉपी की जगह मजदूरों जैसा काम लिया जाए तो कैसे पढ़ेगा और कैसे बढ़ेगा इंडिया?
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