सर्दियों की विदाई के साथ ही अब गर्मी का दौर शुरू हो गया है. एमपी के सीधी जिले के ग्रामीण अंचलों में पानी का संकट गहराने लगा है. जिले के दर्जन भर गांवों के लोग प्यास बुझाने के लिए एक नदी पर आश्रित हैं. गांव में एक दर्जन से ज्यादा हैंडपंप है, लेकिन रख-रखाव नहीं होने की वजह से वे काम नहीं कर रहे हैं. पेयजल की किल्लत के बाद भी जिले के सरकारी महकमें और जनप्रतिनिधियों को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है. सिहाबल जनपद पंचायत के दुअरा गांव के सैंकड़ों लोग पेयजल के लिए मटमैली नदी का पानी काम में लेना पड़ रहा है. गांव की महिलाओं का कहना है कि गांव में पानी का संकट है और पूरा गांव नदी का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है. गंदा पानी पीने से गांव के कई लोग बीमार पड़े हैं. इस गांव से पांच किलोमीटर की दूरी पर सांसद रीती पाठक और मंत्री कमलेश्वर पटेल भी इसी विधानसभा से तालुकात रखते हैं लेकिन फिर भी ग्रामीण पेयजल से दो चार होना पड़ रहा है. मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी अधिकारी बीएस बारस्कर का कहना है का खराब होना एक प्रक्रिया है, हैंडपंप का खराब होना और सही होना तो चलता रहता है.