|| पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति । तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ॥
ऐसा लगता है कि इस्कॉन सेंटर के सदस्यों और अनुयायियों ने भगवद् गीता से इस कविता को आगे बढ़ाकर बहुत गंभीरता से लिया और एक अनूठे तरीके से पुष्य अभिषेक का त्यौहार मनाने लगे। देखिये विडियो इस त्यौहार के बारे में जानकारी
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१ पुष्य अभिषेक का अर्थ है पौष (जनवरी) के महीने में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को स्नान करना
२ सारे भारत में, इस त्यौहार को इस तरह मनाया जाता है कि भगवान कृष्ण की मूर्ति को विभिन्न पदार्थों जैसे दूध, पानी इत्यादि से स्नान कराया जाता है.
३ परन्तु मुंबई के इस्कॉन सेंटर में, जहाँ श्री श्री राधा गोपीनाथ की मुख्य मूर्ति (उत्सव मूर्ति ) को कई टन रंग बिरंगी फूलों की पंखुड़ियों से स्नान कराया जाता है.
४ त्योहार सुबह 7 बजे शुरू होते हैं जहां फूलों की पंखियां मंदिर के हॉल में चुनी जाती हैं
५ पूरे मंदिर और देवी देवताओं को वस्त्र और फूलों से सजाया जाता है
६. दुनिया भर में इसे इस्कॉन पुष्प उत्सव के नाम से जाना जाता है , इसे एच एच राधानाथ स्वामी ने भगवत गीता के एक श्लोक से प्रेरित होकर स्थापित किया.
७ एच एच राधानाथ स्वामी ने अपने एक भाषण में एक बार दावा किया था कि संस्कृत भाषा में उनकी कम जानकारी के कारण उन्होंने पौष शब्द को पुस्य (कली या फूल) समझा, जो जल्द ही दुनिया भर में एक ट्रेंड बन गया.
८. हम इनकी इस बात से सहमत हैं जब उन्होंने कहा था कि " अज्ञानता परमानंद है " . आपका इस बारे में क्या कहना है , अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में हमें बताईये .
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