वसुधैव कुटुम्बकम - सारी दुनिया एक परिवार | अर्था । आध्यात्मिक विचार

Artha 2019-02-05

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एक पद्य जो प्राचीन हिंदू पाठ में है और जिसे दुनिया भर में बड़े पैमाने पर सराहा जाता है। इस के बारे में दिलचस्प बात यह है कि ये सारे विश्व को एक परिवार मानता है. आईये इस विडियो द्वारा जानते हैं क्या है वसुधैव कुटुम्बकम .

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१ वसुधैव कुटुम्बकम एक धारणा है जो एक समझ पैदा करता है कि सारी दुनिया एक परिवार है

२ इस संस्कृत पद्य की कल्पना का मूल आधार महा उपनिषद से लिया गया है और बाद में कई हिन्दू हस्त लेखों पर इसका प्रभाव पड़ा

३ यह वाक्य हितोपदेषा के वैदिक पाठों में भी श्लोक के रूप मिलता है जो यह वर्णन करता है कि,
४ यह मेरा है और वह दूसरे का है, यह छोटी समझ वाले लोगों की सोच है। बड़े दिल वाले लोगों के लिए, पूरी दुनिया एक परिवार है।
५. यह छोटा सा पद्य संस्कृत के तीन शब्दों से बना है - वसुधा , ईवा और कुटुम्बकम , जिसका क्रमशः अर्थ है धरती या दुनिया वास्तव में एक परिवार है

६ यह माना जाता है कि वसुधैव कुटुम्बकम की यह सारी फिलोसिफ़ी मुख्य हिन्दू तत्त्वज्ञान का अंतरिम हिस्सा है

७ विद्वान इस पद्य को वेदान्तिक साहित्य का महानतम विचार मानते हैं.

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