2019 चुनाव नज़दीक आते ही राम मंदिर का मुद्दा फिर गरम है. कभी कोई राम मंदिर के लिए आंदोलन की बात करता है. तो किसी के सुर सरकार के लिए नरम पड़ जाते हैं. कोई बीजेपी पर राम मंदिर को लेकर वादाखिलाफी का आरोप लगाता है. तो कोई मौजूदा सरकार को मोहलत देने की बात करता है. मोहन भागव- विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में भी राममंदिर पर मंथन हुआ. कहा जा रहा है कि बीजेपी की जीत के लिए ही वीएचपी राम मंदिर का राग अलापती है. आलोक कुमार, वीएचपी - आज अमित शाह ने देहरादून में राम मंदिर पर साफ शब्दों में अपनी बात कही और कांग्रेस को राम मंदिर पर अपना स्टैंड साफ करने की चुनौती दे डाली. दूसरी ओर राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य राम विलास वेदांती का कहना है कि तारीख तय हो चुकी है. चुनाव के पहले अगर आपसी समझौते से रास्ता निकला तो ठीक नहीं तो चुनाव के बाद मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा. राम विलास वेदांती के इस बयान ने राम मंदिर मुद्दे को और दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में सवाल ये कि क्या केवल बीजेपी को जिताने के लिए वीएचपी राम मंदिर आंदोलन की हुंकार भरती है. क्यों चुनावों से पहले धर्मसंसद में एक और तारीख दे दी गई. क्यों चुनावों से पहले राम मंदिर मुद्दे को वनवास दे दिया गया. आज बहस इसी मुद्दे पर होगी.