2019 लोकसभा का एजेंडा तय करेंगी 'फिल्म' ?, चुनावी साल में सियासी फिल्मों पर हंगामा

Inkhabar 2018-12-28

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सुशांत सिन्हा और जवाब तो देना होगा इस बात का कि अगर देश में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है यानि अभिव्यक्ति की आजादी है तो फिर किसी फिल्म को लेकर बवाल क्यों हो और अगर ये आज़ादी है तो क्या सियासी साल में अब फिल्म के जरिए विरोधियों को पटखनी दी जा सकती है. ये दोनों सवाल इसलिए क्योंकि देश की सियासत में इस वक्त बवाल भी दो फिल्मों को लेकर ही मचा है.

पहली फिल्म है द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर जो कि डॉ मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु की किताब पर आधारित है और दूसरी फिल्म है ठाकरे जो कि बाल ठाकरे की बायोपिक है । ज्यादा हंगामा मनमोहन सिंह पर आधारित फिल्म को लेकर है क्योंकि फिल्म में यूपीए सरकार के वक्त की बंद कमरे में हुई कई ऐसी बातें है जिससे सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.

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