गोरखपुर के कई लोगों को बुधवार की सुबह वर्षों पहले लिखी बाबू गुलाब राय की कहानी ‘नर से नारायण की याद आने लगी। आत्मकथात्मक शैली में लिखी उस कहानी का पात्र एक गांव में रहता है।
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