जाति, धर्म और सम्प्रदाय के बंधनों को तोड़ कर सामाजिक सम्बंधों की वो नई इबारत लिख रही है। एक अक्षर का ज्ञान नहीं होने के बाद भी गंगा-जमुनी संस्कृति के पन्नों पर वो एक नया संदेश दे रही है। ठेठ देहाती परिवेश में पली यह महिला समाज के लिए एक मिसाल से कम नहीं है। चौंकियेगा नहीं वो एक ऐसी मुस्लिम महिला है जो सात साल से गायों को एक मां की तरह पाल-पोस रही है। गायें उनको देख कर ऐसे रम्भाती हैं, जैसे बच्चे अपनी मां को देख कर चहकते हैं।
http://www.livehindustan.com/news/Gonda/article1-This-Muslim-woman-who-is-caring-cows-730526.html