ये उन दिनों की बात है जब देश के गांवों में गरीबी इस कदर हावी थी कि इंसान गाय-भैंस के गोबर से निकला अनाज खाकर भी गुजारा कर लेता था। खलीलाबाद के बलिया बारी गांव में अच्छी खेतीबारी वाले जमींदार परिवार के एक नौजवान ने घर में क्रांति कर दी।
वह अपने हरवाहों को मजदूरी के बदले दिया जाने वाला अनाज एक-दो सेर बढ़ा कर देने लगा। यह बात नौजवान के पिता को पसंद नहीं आई। एक दिन उन्होंने उसे ऐसा डांटा कि नौजवान ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। मां ने पहले तो बहुत रोका लेकिन जब हार गईं तो मोटे खद्दर का दो जोड़ी कुर्ता-पायजामा देकर विदा कर दिया।
http://www.livehindustan.com/news/gorakhpur/article1-He-become-MLA-MP-without-any-expence--704102.html