विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक का एनजीओ सीधे विदेशी धन नहीं ले सकेगा। केंद्र ने आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट को पूर्व अनुमति श्रेणी में डाल दिया है। यानी एनजीओ को विदेशी सहायता लेने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
प्रावधानों का उल्लंघन
गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि उपलब्ध रिकॉर्ड और खुफिया एजेंसियों से मिले रिपोर्टों के आधार पर पाया गया कि इस एनजीओ ने विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) 2010 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। नाइक अपने एनजीओ को मिले धन का उपयोग युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवाद के लिए बरगलाने के लिए कर रहा था।
दूसरे एनजीओ पर भी गाज
सूत्रों ने बताया कि सरकार जाकिर के एक अन्य एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) का एफसीआरए पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया में है। इस संबंध में अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी हो चुका है। सरकार ‘आईआरएफ’ को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की भी योजना बना रही है। इसके लिए बस कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है।
आतंकवाद का प्रचार
महाराष्ट्र पुलिस की सूचना के आधार पर तैयार मसौदा पत्र के अनुसार, ‘आईआरएफ’ और ‘आइआरएफ एजुकेशन ट्रस्ट’ के प्रमुख जाकिर नाइक ने उकसाने वाले कई भाषण दिए। वह आतंकवाद को प्रचारित करने में भी शामिल रहा है। महाराष्ट्र पुलिस ने उसके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज किए थे।
विदेशी धन पीस टीवी को
नाइक ने आपत्तिजनक कार्यक्रम बनाने के लिए ‘आईआरएफ’ के विदेशी धन को पीस टीवी में भी हस्तांतरित किया था। ज्यादातर कार्यक्रमों में जाकिर नाइक के भाषण थे और ये भारत में ही बनाए गए थे। इनमें नाइक के कथित घृणापूर्ण भाषण थे। बता दें कि नाइक को घृणापूर्ण भाषणों के चलते ब्रिटेन एवं कनाडा में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
http://www.livehindustan.com/news/national/article1-govt-decides-to-declare-preacher-zakir-naiks-ngo%E2%80%89unlawful-601691.html