पीवी सिंधु। ये नाम है एक ऐसी बहादुर बेटी का, ये नाम है एक ऐसी जांबाज का जिसने ओलंपिक में हर भारतीय का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया। रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने महिला बैडमिंटन एकल में रजत पदक जीतकर न केवल भारत का दिल जीता बल्कि भारत की ओर से ऐसा कारनामा करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी भी बन गईं।
महज 21 साल की सिंधु की चमक के पीछे की मेहनत भी कुछ कम नहीं है। सिंधु को बैडमिंटन की प्रैक्टिस कराने के लिए जहां उनकी मां 40 किमी दूर एकेडमी लेकर जाती थीं वहीं कोच गोपीचंद ने गुरु द्रोणाचार्य की भूमिका निभाई।
गोपीचंद ही तय करते थे कि सिंधु क्या खाएंगी और कितनी सोएंगी। बताया जाता है कि रियो ओलंपिक के तीन महीने पहले से सिंधु ने आइस्क्रीम नहीं खाई और उनका फोन भी गोपीचंद ने खुद रख लिया था। एक इंटरव्यू में गोपीचंद ने बताया था कि कई बार ट्रेनिंग के दौरान उनकी सख्ती से सिंधु की आंखों में आंसु भी आ जाते थे। लेकिन अब ये आंसु खुशी के आंसु के रूप में बदल गए हैं। सिंधु ने सबके चेहरे पर मुस्कान ला दी है।