अस्पताल में बच्चा बदलने की घटनाओ से तो आपने सुनी ही होगी एक ऐसा ही मामला असम में सामने आया है लेकिन यह केस दूसरे मामलों से थोड़ा अलग है।
क्योंकि इस केस में एक मुस्लिम परिवार है जबकि दूसरा हिंदू। लेकिन दोनों परिवारों ने तय किया है कि डीएनए टेस्ट में पुष्टि के बावजूद वे अपने बेटों को नहीं बदलेंगे।
ये दोनों बच्चे साल 2015 में जन्म के बाद अस्पताल में आपस में बदल गए थे। इस बदलाव की वजह से सलमा परवीन और शहाबुद्दीन का जैविक बेटा अब अनिल और सेवाली बोरो के बेटे राकेश बोरो के रूप में रहा है।
सेवाली और सलमा दोनों ने ही 11 मार्च 2015 को दरांग के मंगलदाई सिविल हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म दिया था।
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