Gorakhpur hospital tragedy, Yogi Adityanath promises stringent action, BRD medical college nodal officer suspended,
बच्चों की मौतें जिम्मेदार कौन पुष्पा सैल्स बीआरडी मेडिकल कालेज डीएम गोरखपुर या सीएम योगी आदित्य नाथ।
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर, ऑक्सीजन ब्रेकडाउन, बच्चों की मौत, कार्यवाही या नकली नाटक
31 बच्चों की मौतों का जिम्मेदार कौन ? पुष्पा सैल्स, बीआरडी मेडिकल कालेज, डीएम गोरखपुर या सीएम योगी आदित्य नाथ।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज, बच्चों की मौत, जिला प्रशासन की प्राथमिक जांच रिपोर्ट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षामंत्री आशतोष टंडन, ऑक्सीजन ब्रेकडाउन,
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म होने से 61 बच्चों की मौत
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सिस्टम की जानलेवा लापरवाही से अचानक अस्पताल शमशान में बदल गया। सूत्रों के मुताबिक पिछले 48 घंटे में करीब 61 मासूमों को जान चली गयी। सिर्फ दो दिन पहले नौ अगस्त की शाम को सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कालेज का हाल देखकर गये थे।
यह इत्तेफाक है याँ हादसा या हत्याकांड शायद किसी को समझ ना आ पाए।
लेकिन इस हत्याकांड के पीछे कुछ रहस्य अवश्य है।
एक तो जहां भी योगी आदित्य नाथ जाते हैं, उनके जाने के बाद वहां कोई ना कोई हादसा जरूर हो रहा है।
लाशों का जमघट, दुःख के आंसुओं का सैलाब, स्वतंत्रता दिवस फिर बना सरकारी कत्लेआम दिन,
इसके पीछे यह कारण हो सकता है, योगी आदित्य नाथ शिकायत मिलने पर वहां जाते होंगे और सख्ती के डर से भृष्ट अधिकारी हादसा करवाते होंगे। योगी आदित्य नाथ को इस बात को जल्दी समझना होगा।
महज 69 लाख रुपये बकाये के नाम पर मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने अचानक सप्लाई ठप कर दी। ऐसे में जम्बो सिलेंडरों और अम्बू बैग से मरीजों को बचाने की कोशिश की जाती रही लेकिन शुक्रवार की शाम होते-होते 21 मासूम इस अव्यवस्था की भेंट चढ़ गये।
मरने वालों में दस मासूम इंसेफेलाइटिस वार्ड में और दस एनएनयू (न्यूनेटल यूनिट) में भर्ती थे। ताज्जुब है कि इतनी बड़े संकट के बावजूद डीएम या कमिश्नर में से कोई भी शुक्रवार को दिन भर बीआरडी मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा। जबकि मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों का कहना था कि दोनों अधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी गई थी। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे,
प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचते तो क्राइसिस मैनेजमेंट आसान हो जाता।
बुधवार को ही लिक्विड ऑक्सीजन का टैंक पूरी तरह से खाली हो गया था। मंगाए गए ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म हो गए। इसके बाद कालेज में हाहाकार मच गया। बेड पर पड़े मासूम बच्चे तड़पने लगे। डॉक्टर और तीमारदार एम्बू बैग से ऑक्सीजन देने की कोशिश करने लगे। हालांकि उनकी यह कोशिश नाकाफी साबित हुई। इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरने वालों में जुनैद, अब्दुल रहमान, लवकुश, ज्योति, शालू, खुशबू, फ्रूटी, शिवानी और अरूषी शामिल थी।
बीआरडी में ऑक्सीजन की आपूर्ति का संकट गुरुवार को तब शुरू हुआ, जब लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गैस खत्म हो गई। संकट को देखते हुए गुरुवार को दिन भर 90 जंबो सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई हुई। रात करीब एक बजे यह खेप भी खप गई। जिसके बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। साढ़े तीन बजे 50 सिलेंडरों की खेप लगाई गई। यह सुबह साढ़े सात बजे तक चला।
वार्ड 100 बेड में भर्ती इंसेफेलाइटिस के 73 में से 54 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म फिर खत्म हो गई। जिसके बाद वार्ड 100 बेड में हंगामा शुरू हो गया। एम्बुबैग के सहारे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई। तीमारदारों के थक जाते ही डॉक्टर एम्बुबैग से ऑक्सीजन देते रहे।
बीआरडी में दो वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया। इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड समेत 300 मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। इसकी सप्लाई पुष्पा सेल्स करती है। कंपनी के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने प्राचार्य को पत्र लिखकर बताया था, कि कालेज पर 68 लाख 58 हजार 596 रुपये का बकाया हो गया है। बकाया रकम की अधिकतम तय राशि 10 लाख रुपये है। बकाया की रकम तय सीमा से अधिक होने के कारण देहरादून के आईनॉक्स कंपनी की एलएमओ गैस प्लांट ने गैस सप्लाई देने से इनकार कर दिया है।
यहां यह जानना आवश्यक है की पैसा मरीजों की जान से अधिक कीमती हो गया, मेरे ख्याल पर सभी जिम्मेदार दोषियों को बगैर जमानत की धाराएं लगाकर मृत्यु दण्ड दिया जाना चाहिए।
बीआरडी में गुरुवार की शाम से ही बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। एक-एक कर बच्चों की हो रही मौत से परेशान डॉक्टरों ने पुष्पा सेल्स के अधिकारियों को फोन कर मनुहार की। उधर कालेज प्रशासन ने 22 लाख रुपये बकाया के भुगतान की कवायद शुरू की। जिसके बाद पुष्पा सेल्स के अधिकारियों ने लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर को भेजने का फैसला किया।
पहले भी फर्म ठप कर चुकी है सप्लाई
बीते वर्ष अप्रैल में भी फर्म का बकाया करीब 50 लाख रुपये हो गया। फर्म ने कई बार बकाया भुगतान के लिए पत्र लिखा। आरोप है कि भुगतान न मिलने पर फर्म ने आपूर्ति ठप कर दिया। इसके बाद जमकर हंगामा हुआ।
ये वार्ड हुए प्रभावित
ट्रॉमा सेंटर
100 बेड वाला इंसेफेलाइटिस वार्ड
नियोनेटल यूनिट
इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड-14
मेडिसिन आईसीयू
एपीडेमिक मेडिसिन वार्ड-12
बालरोग वार्ड 6
वार्ड नंबर 2
एनेस्थिसिया आईसीयू
लेबर रूम
जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी ओटी
बीआरडी में ऑक्सीजन के संकट ने पूरे अस्पताल प्रशासन को घुटनों के बल ला दिया। डॉक्टरों ने प्रशासनिक अधिकारियों को संकट की जानकारी दी, मदद भी मांगी। मगर जिले के आला अधिकारी बेपरवाह रहे। ऐसे में मदद को आगे आया एसएसबी व कुछ प्राइवेट अस्पताल। सशस्त्र सीमा बल के अस्पताल से बीआरडी को