कख गेन दिन उ छया..........................
जिनका जन्म पहाड़ में हुआ है और जिन्होंने पहाड़ का प्यार, स्नेह और सामुदायिकता देखि है, जिस सामुदायिकता पर अब संकट छाने लगा है, और जो लग इस संकट से चिंतित है, जो आज भी दिल जान से पहाड़ को प्यार करते हैं, उन्ही गढ़ प्रेमियों के लिए है ये गीत.
रचना - प्रदीप भंडारी,
स्वर - मंगलेश डंगवाल।