स्तुति और निन्दा के कारण मानव अपने अंदर ‘झूठे मैं’ को पनपने देता है। स्तुति-निन्दा को मन पर हावी होने देने के कारण मधु-कैटभ इन राक्षसों का जन्म होता है। आदिमाता महाकाली का अवतार मधु और कैटभ इन दो असुरों का वध करने हेतु हुआ था। मानव को इन राक्षसों से बचने के लिए क्या करना चाहिए, इसके बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l (Madhu-Kaitabh Samhaar - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 18 Sep 2014)
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