अविरोधाने पुढे जाता येत असेल, तर मानवाने विरोध करण्यात आपली ऊर्जा व्यर्थ घालवू नये. जर मोठ्याने नाव घेणे शक्य नसेल, तर मनातल्या मनात नामस्मरण करावे. त्याचप्रमाणे भक्ती-सेवा करताना ममत्व, अहंकार, मानसन्मान वगैरे गोष्टी बाजूला ठेवल्या पाहिजेत असे परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी त्यांच्या २४ मार्च २००५ रोजीच्या मराठी प्रवचनात सांगितले, जे आपण या व्हिडियोत पाहू शकता.
(Put aside the ego & worldly attachment while doing Bhakti-Seva - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 24 March 2005)
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