मानव को प्राथमिक स्तर पर यह जानना चाहिए कि वह है, उसका अस्तित्व है, इसलिए उसके लिए सब कुछ है । ’मैं हूँ’ इस बात का मानव को एहसास रखना चाहिए । मानव को अन्तर्मुख होकर ’मैं कैसा हूँ’ यह स्वयं से पूछना चाहिए । बहुत बार मानव अपने अस्तित्व का एहसास खोकर जीवन भर कल्पना में जीता है और इस वजह से जीने के आनन्द से वंचित रह जाता है, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापुं ने अपने गुरूवार दिनांक २४ जुलाई २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l
(Awareness of Being - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 24 July 2014)
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